पाठ-योजना निर्माण के विभिन्न सोपान (Different satge of lesson plan)
पाठ-योजना
निर्माण के विभिन्न सोपान( Different stage of lesson plan ) :-
हर्बर्ट की पंचपदी पाठ-योजना में अनेक परिवर्तन
किये गये हैं, जिसमें शिक्षण-उद्देश्यों तथा सीखने के अनुभवों पर विशेष बल दिया
गया हैं.
पाठ-योजना निर्माण के निम्नलिखित सोपान हैं-
1. प्रारंभिक शिक्षण – इसके अंतर्गत पाठ-योजना के प्रारम्भ
में शिक्षण का स्थान, विषय, प्रकरण या इकाई, कक्षा एवं वर्ग घंटा, समय और दिनांक
का उल्लेख किया जाता हैं.
2. सामान्य उद्देश्य – किसी विषय विशेष को पढ़ाने में हमारे
क्या उद्देश्य हैं, उनका उल्लेख किया जाता हैं. ये उद्देश्य निश्चत होते हैं और
इनका उल्लेख विषय विशेष के प्रत्येक प्रकरण या इकाई में किया जाता हैं.
3. विशिष्ट उद्देश्य – ये वे उद्देश्य हैं जो प्रकरण या इकाई
से सम्बन्धित होते हैं. ये प्रकरण के अनुसार बदलते रहते हैं.
4. शिक्षण सहायक सामग्री – निर्धारित प्रकरण या इकाई को पढ़ाते
समय अधिगम को सुगम बनाने की दृष्टि से जिन उपकरणों का प्रयोग किया जाता हैं, उनका
यहाँ उल्लेख किया जाता हैं.
5. पूर्व ज्ञान – पूर्वज्ञान से तात्पर्य पढ़ाई जाने वाली
पाठ्यवस्तु से सम्बन्धित पूर्व अनुभवों से हैं. पूर्व ज्ञान का स्पष्ट उल्लेख इस
पर पाठ-योजना में किया जाता हैं.
6. प्रस्तावना – पूर्वज्ञान एवं पूर्व अनुभवों के आधार पर
प्रस्तावना के प्रश्न पूछे जाते हैं. प्रस्तावना यथा सम्भव छोटी होनी चाहिए.
7. श्यामपट्ट सारांश – श्यामपट्ट सारांश छात्रों की सहायता से
पाठ के साथ विकसित किया जाता हैं. सारांश में मुख्य बाते ही लिखी होनी चाहिए.
8. मूल्यांकन – शिक्षण की समाप्ति के बाद मूल्यांकन एक
महत्वपूर्ण पद हैं. यहाँ सीखे हुए पाठ के व्यावहारिक उपयोग की परीक्षा होती हैं.
मूल्यांकन के प्रश्न वस्तुनिष्ट होने चाहिए.
9. गृहकार्य – इस पद पर आकर अध्यापक पढ़ायें हुए पाठ का
गृहकार्य देता हैं. गृहकार्य उद्देश्य-अनुकूल होना चाहिए और उसका निरीक्षण होना
चाहिए.
10.आत्मनिरीक्षण – पाठ-योजना का यह अंतिम सोपान हैं. यहाँ
अध्यापक आत्मनिरीक्षण के आधार पर अपने अनुभवों का उल्लेख करता हैं.
इन सबका प्रयोग करके हम एक बेहतर पाठ-योजना तैयार कर सकते हैं.
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