सर्वशिक्षा अभियान (SSA) , मध्याह्न भोजन स्कीम (Mid Day Meal Scheme) तथा शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की संक्षिप्त जानकारी


सर्वशिक्षा अभियान (SSA) , मध्याह्न भोजन स्कीम (Mid Day Meal Scheme) तथा शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की संक्षिप्त जानकारी

प्राथमिक शिक्षा का सार्वभौमीकरण (Gobalisation of Primary) –
सार्वभौमिकरण का अर्थ होता हैं, सब के लिए उपलब्ध कराना.
Ø  प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण के अंतर्गत देश के सभी बच्चों के लिए पहली से आठवीं कक्षा तक नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करने का उद्देश्य सुनिश्चित किया गया. इस बात पर जोर दिया कि इस अनिवार्य शिक्षा के लिए स्कूल बच्चों के घर के समीप हो तथा चौदह वर्ष तक बच्चे स्कूल न छोड़ें.
Ø  ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड, न्यूनतम शिक्षा स्तर, मध्याह्न भोजन स्कीम, पोषाहार सहायता कार्यक्रम, जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम, सर्वशिक्षा अभियान, कस्तूरबा गाँधी बालिका विधालय, प्राथमिक शिक्षा कोष इत्यादि प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण से सम्बन्धित कुछ प्रमुख कार्यक्रम हैं.

सर्वशिक्षा अभियान (Sarva Shiksha Abhiyan (SSA) –

सर्व शिक्षा अभियान प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण से सम्बन्धित प्रमुख कार्यक्रम हैं. इसे सभी के लिए शिक्षा अभियान के नाम से भी जाना जाता हैं. इस अभियान के अंतर्गत ‘सब पढ़ें सब बढ़ें’ का नारा दिया गया हैं. सर्वशिक्षा अभियान भारत सरकार द्वारा 2000-01 में प्रारम्भ किया गया था. कस्तूरबा गाँधी बालिका विधालय योजना की शुरुआत 2004 में हुई थी, जिसके अंतर्गत समस्त लड़कियों को प्राथमिक शिक्षा देने का सपना देखा गया था, बाद में यह योजना सर्व शिक्षा अभियान के साथ विलय हो गई.
सर्वशिक्षा अभियान के अंतर्गत निम्नलिखित लक्ष्य निर्धारित किए गए थे –
v  विधालय, शिक्षा गारंटी केन्द्रों, वैकल्पिक विधालयों या ‘विधालयों में वापस अभियान’ द्वारा वर्ष 2003 तक सभी बच्चों को विधालय में लाना.
v  वर्ष 2007 तक 5 वर्ष की आयु वाले सभी बच्चों की प्राथमिक शिक्षा पूरी करवाना. वर्ष 2010 तक 8 वर्ष की आयु वाले सभी बच्चों की प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करवाना.
सर्वशिक्षा अभियान की उपलब्धियों निम्न प्रकार रही -
v  सर्वशिक्षा अभियान के अंतर्गत उन बस्तियों में नए स्कूल बनाने का प्रयास किया जाता हैं, जहाँ बुनियादी स्कूली शिक्षा की सुविधा नहीं हैं.
v  इस अभियान के अंतर्गत कंप्यूटर शिक्षा पर बल दिया गया हैं. इसके अंतर्गत डिजिटल अन्तर को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा हैं.
v  बच्चों की उपस्थिति आशाजनक करने के उद्देश्य से मध्याह्न भोजन जैसी योजना की शुरुआत की गयी हैं.
v  वर्ष 2010 तक सर्वशिक्षा अभियान का लक्ष्य पूरा होने के कारण केंद्र सरकार के मानव संसाधन मन्त्रालय ने दिसम्बर, 2010 में यह निर्णय लिया था की सर्वशिक्षा अभियान को शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू करने का प्रमुख साधन बनाया जाएगा. इसके लिए संशोधित सर्वशिक्षा अभियान से सम्बन्धित अधिनियम, 2011 में लागु किया जाएगा.

मध्याह्न भोजन स्कीम (Mid Day Meal Scheme) –

मध्याह्न भोजन स्कीम की शुरुआत सर्वप्रथम भारत के तमिलनाडु से प्रारम्भ हुई, जिसका उद्देश्य सर्व शिक्षा अभियान को सफलीभूत बनाना था. प्राथमिक कक्षाओं में नामंकन में वृद्धि हो तथा स्कूल छोड़ने की प्रवृति में कमी हो इत्यादि को ध्यान में रखकर यह स्कीम शुरू की गई, जिसकी विशेषताएँ निम्न प्रकार वर्णित हैं –
v  सविधाहीन वर्गों से सम्बन्धित बच्चों के प्रवेश, उपस्थिति, प्रतीधारण एवं अध्ययन स्तरों में सुधार करके प्राथमिक शिक्षा के व्यापीकरण को बढ़ाने तथा प्राथमिक स्तर के छात्रों की पोषाहार स्थिति को सुधारने के उद्देश्य से 15 अगस्त, 1995 को पोषाहार समर्थन के राष्ट्रिय कार्यक्रम मध्याह्न भोजन स्कीम की शुरुआत की गई.
v  इस योजना के अंतर्गत पहली से पाँचवी कक्षा तक देश के राजकीय अनुदान प्राप्त प्राथमिक विधालयों में पढ़ने वाले सभी बच्चों को 80% उपस्थिति पर प्रतिमाह 3 किग्रा गेहूं अथवा चावल दिए जाने की व्यवस्था की गयी थी, किन्तु इस योजना के अंतर्गत छात्रों को दिए जाने वाले खाधान्न का पूर्ण लाभ छात्र को न प्राप्त होकर उसके परिवार को मिल जाता था, इसलिए 1 सितम्बर, 2004 से प्राथमिक विधालयों में पके-पकाए भोजन उपलब्ध कराने की योजना आरम्भ कर दी गई.
v  प्रत्येक छात्र/छात्रा के लिए प्रतिदिन 100 ग्राम खाधान्न से निर्मित सामग्री दिए जाने की प्रावधान है, जिसे पकाने के लिए परिवर्तन लागत की व्यवस्था भी की गई.
v  पौष्टिकता सुनिश्चित करने के लिए यह तय किया गया है की भोजन कम-से-कम 450 कैलोरी व 12 ग्राम प्रोटीन वाला हो. भोजन पकाने का कार्य ग्राम पंचायतों की देख-रेख में किया जाता हैं.
v  मध्याह्न भोजन वर्ष में कम-से-कम 200 दिनों तक उपलब्ध कराया जाएगा.

शिक्षा का अधिकार अधनियम, 2009
शिक्षा का अधिकार (Right to Education) अधिनियम, 2009 राज्य, परिवार और समुदाय की सहायता से 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों के लिए मुफ्त एवं अनिवार्य गुणवतापूर्ण प्राथमिक शिक्षा सुनिश्चित करता हैं.
यह अधिनियम मूलतः वर्ष 2005 के शिक्षा के अधिकार विधेयक का संशोधित रूप हैं. वर्ष 2002 में संविधान के 86वें संशोधन द्वारा अनुच्छेद 21ए की भाग 3 की माध्यम से 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया था.
इसे प्रभावी बनाने के लिए 4 अगस्त, 2009 को लोकसभा में यह अधिनियम पारित किया गया, जो 1 अप्रैल, 2010 से पुरे देश में लागु हो गया.
शिक्षा का अधिकार अधिनियम का महत्व
शिक्षा का अधिकार अधिनियम का महत्व निम्न हैं –
ü  शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के क्रियान्वयन के बाद कक्षा-कक्षा आयु के अनुसार अधिक समजातीय हैं.
ü  इसमें 6-14 वर्ष तक के आयु वर्ग के सभी बच्चों को अनिवार्य रूप से प्रारम्भिक से माध्यमिक स्कूल तक की शिक्षा देने पर जोर दिया गया हैं. इससे इस आयु की बच्चों का भविष्य उज्जवल होगा.
ü  शिक्षा ही मनुष्य को विश्व के अन्य प्राणियों से अलग कर उसे श्रेष्ठ एवं सामाजिक प्राणी के रूप में जीवन जीने की काबिल बनाती हैं.
ü  इस कड़ी में सर्वशिक्षा अभियान को इसका सहयोगी बनाना नि:संदेह अत्यधिक लाभप्रद सिद्ध होगा.
ü  इस अधिनियम का सर्वाधिक लाभ श्रमिकों के बच्चे, बाल मजदूर, विशेष आवश्यकता वाले बच्चे या फिर ऐसे बच्चों को मिलेगा, जो सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, भौगोलिक, भाषायी अथवा अन्य कारणों से शिक्षा से वंचित रह जाते थे.
ü  इस अधिनियम को लागू होने के बाद यह आशा की जा सकती हैं की विधालय छोड़ने वाले तथा पहले विधालय न जाने वाले बच्चों को अब प्रशिक्षित शिक्षकों द्वारा गुणवतापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो सकेगी.


मैं आशा करती हूँ की मेरी ये कोशिश आपको ज्ञान अर्जन करने में मदद करेगी. अपना कीमती समय देने के लिए आप सभी को दिल से धन्यवाद!  







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